Saturday, 29 February 2020
नक्षत्र
तारे हमारे सौर जगत् के भीतर नहीं है। ये सूर्य से बहुत दूर हैं और सूर्य की परिक्रमा न करने के कारण स्थिर जान पड़ते हैं—अर्थात् एक तारा दूसरे तारे से जिस ओर और जितनी दूर आज देखा जायगा उसी ओर और उतनी ही दूर पर सदा देखा जायगा। इस प्रकार ऐसे दो चार पास-पास रहनेवाले तारों की परस्पर स्थिति का ध्यान एक बार कर लेने से हम उन सबको दूसरी बार देखने से पहचान सकते हैं। पहचान के लिये यदि हम उन सब तारों के मिलने से जो आकार बने उसे निर्दिष्ट करके समूचे तारकपुंज का कोई नाम रख लें तो और भी सुभीता होगा। नक्षत्रों का विभाग इसीलिये और इसी प्रकार किया गया है।
चंद्रमा २७-२८ दिनों में पृथ्वी के चारों ओर घूम आता है। खगोल में यह भ्रमणपथ इन्हीं तारों के बीच से होकर गया हुआ जान पड़ता है। इसी पथ में पड़नेवाले तारों के अलग अलग दल बाँधकर एक एक तारकपुंज का नाम नक्षत्र रखा गया है। इस रीति से सारा पथ इन २७ नक्षत्रों में विभक्त होकर 'नक्षत्र चक्र' कहलाता है। नीचे तारों की संख्या और आकृति सहित २७ नक्षत्रों के नाम दिए जाते हैं—
नक्षत्र | तारासंख्या | आकृति और पहचान |
---|---|---|
अश्विनी | ३ | घोड़ा |
भरणी | ३ | त्रिकोण |
कृत्तिका | ६ | अग्निशिखा |
रोहिणी | ५ | गाड़ी |
मृगशिरा | ३ | हरिणमस्तक वा विडालपद |
आर्द्रा | १ | उज्वल |
पुनर्वसु | ५ या ६ | धनुष या धर |
पुष्य | १ वा ३ | माणिक्य वर्ण |
अश्लेषा | ५ | कुत्ते की पूँछ वा कुलावचक्र |
मघा | ५ | हल |
पूर्वाफाल्गुनी | २ | खट्वाकार X उत्तर दक्षिण |
उत्तराफाल्गुनी | २ | शय्याकारX उत्तर दक्षिण |
हस्त | ५ | हाथ का पंजा |
चित्रा | १ | मुक्तावत् उज्वल |
स्वाती | १ | कुंकुं वर्ण |
विशाखा | ५ व ६ | तोरण या माला |
अनुराधा | ७ | सूप या जलधारा |
ज्येष्ठा | ३ | सर्प या कुंडल |
मुल | ९ या ११ | शंख या सिंह की पूँछ |
पुर्वाषाढा | ४ | सूप या हाथी का दाँत |
उत्तरषाढा | ४ | सूप |
श्रवण | ३ | बाण या त्रिशूल |
धनिष्ठा प्रवेश | ५ | मर्दल बाजा |
शतभिषा | १०० | मंडलाकार |
पूर्वभाद्रपद | २ | भारवत् या घंटाकार |
उत्तरभाद्रपद | २ | दो मस्तक |
रेवती | ३२ | मछली या मृदंग |
इन २७ नक्षत्रों के अतिरिक्त 'अभिजित्' नाम का एक और नक्षत्र पहले माना जाता था पर वह पूर्वाषाढ़ा के भीतर ही आ जाता है, इससे अब २७ ही नक्षत्र गिने जाते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के नाम पर महीनों के नाम रखे गए हैं। महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र पर रहेगा उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के अनुसार होगा, जैसे कार्तिक की पूर्णिमा को चंद्रमा कृत्तिका वा रोहिणी नक्षत्र पर रहेगा, अग्रहायण की पूर्णिमा को मृगशिरा वा आर्दा पर; इसी प्रकार और समझिए।
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